बीसीसीआई में महिला चयन समिति की प्रमुख नीतू डेविड ने कहा कि अगले सीजन से टी20 चैलेंज में टीमों की संख्या बढ़ाने की योजना है। अभी तक इसमें तीन टीमें ही खेलती हैं। 43 साल की नीतू ने कहा कि पुरुष क्रिकेट की तरह महिला क्रिकेट में भी बेंच स्ट्रेंथ तैयार करने पर काम चल रहा है। नीतू ने भारत की ओर से 97 वनडे और 10 टेस्ट मैच खेले हैं। उनसे बातचीत के प्रमुख अंश...
आईपीएल में टीमों की संख्या बढ़ाने की बात चल रही है जबकि महिला टी20 में ऐसी कोई चर्चा नहीं। ऐसा क्यों?
महिला टी20 चैलेंज यानी महिला आईपीएल में इस साल से ही टीमों की संख्या बढ़ाई जानी थी। लेकिन यूएई में होने से संख्या नहीं बढ़ी। ऑस्ट्रेलिया की महिला बिग बैश लीग भी इसी दौरान शुरू हुई थी। इसलिए बड़ी खिलाड़ियों का मिलना मुश्किल था। अगले सीजन से टीम की संख्या में बढ़ोतरी होगी। हमारी कोशिश रहेगी कि इस दौरान कोई इंटरनेशनल सीरीज न हो, ताकि ज्यादा से ज्यादा खिलाड़ी उपलब्ध हो सकें।
महिला क्रिकेट में बेंच स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
महिला क्रिकेट में कई अच्छी प्रतिभाएं हैं। बेंच स्ट्रेंथ बढ़ाने के लिए मुख्य टीम के अलावा अंडर-19 और टीम में जगह नहीं बना पा रही खिलाड़ियों के कैंप लगाने की योजना तैयार की जा रही है।
छोटे शहरों में महिला क्रिकेट को बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है?
पहले लड़कों की एकेडमी में ही लड़कियां ट्रेनिंग करती थीं। लेकिन अब छोटे शहरों में भी एकेडमी खुल रही हैं। पूर्व खिलाड़ियों ने भी एकेडमी की शुरुआत की है। राज्य सरकारें भी लड़कियों के लिए एकेडमी खोल रही हैं।
पुरुष क्रिकेटरों की इंटरनेशनल सीरीज हो रही हैं। महिला क्रिकेट में क्यों नहीं?
श्रीलंका बोर्ड के साथ टूर्नामेंट को लेकर बात चल रही है। कोरोना के कारण देर हो रही है। उम्मीद है कि सीरीज का कार्यक्रम जल्द तय हो जाएगा।
महिला टीम फाइनल में हार जाती है। क्या टीम मानसिक रूप से तैयार नहीं है?
टीम में मैच टेपरामेंट की कमी है। पहले की तुलना में काफी सुधार हुआ है। पहले टीम फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाती थी। खिलाड़ी मेंटल स्ट्रेंथ पर काम कर रही हैं। कई खिलाड़ियों ने लॉकडाउन के दौरान घर पर मेडिटेशन वगैरह किया। अब वे शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से मजबूत हो रही हैं। आने वाले टूर्नामेंट में इसका असर भी दिखाई देगा।
पहली बार टी20 चैलेंज को स्पॉन्सर मिला, इसे कैसे देखती हैं?
स्पॉन्सर के आने से टीमों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। खिलाड़ियों को भी पहले से ज्यादा पैसे मिलेंगे। साथ ही लड़कियों में क्रिकेट को बढ़ावा मिलेगा।
महिला टीम के विदेशी दौरे कम होते हैं। इसे बढ़ाने के लिए क्या प्रयास हो रहे हैं?
महिला दौरे बढ़ाने की योजना है। लेकिन ये चरण दर चरण होंगे। अभी फिलहाल कैंप के आयोजन को लेकर प्लान किया जा रहा है। हमारा फोकस है कि लड़कियों का विदेशी दौरा भी पुरुषों की तरह ज्यादा से ज्यादा हो।
महिला खिलाड़ियों को पुरुष खिलाड़ियों से कम राशि मिलती है, ऐसा क्यों?
पुरुष क्रिकेटर साल भर खेलते हैं जबकि महिला खिलाड़ी उनकी तुलना में कम खेलती हैं। ऐसे में पैसे उसी हिसाब से दिए जाते हैं। मुझे नहीं लगता कि यहां पर पैसा महत्व रखता है क्योंकि बीसीसीआई के महिला क्रिकेट को टेकओवर करने के बाद महिला खिलाड़ियों को हर तरीके की सुविधाएं मिल रही हैं। अब घरेलू टूर्नामेंट भी बेहतर तरीके से होते हैं। हमारे समय में न तो पैसे मिलते थे और न ही इतनी सुविधाएं थीं। अब काफी कुछ बदल चुका है। टूर्नामेंट भी ज्यादा हो रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि टीम जिस तरह से प्रदर्शन कर रही है, आने वाले समय में उन्हें पुरुषों के बराबर का दर्जा अवश्य मिलेगा।
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