इंटरनेशनल ओलिंपिक कमेटी (आईओसी) एक नॉन-प्राॅफिट ऑर्गनाइजेशन है। यह समर और विंटर ओलिंपिक गेम्स का आयोजन करती है। इसके फाइनेंशियल प्लान की रिपोर्ट की बात की जाए तो आईओसी जितना रेवेन्यू जनरेट करती है, उसका 90% खेल और खिलाड़ियों के विकास पर खर्च कर देती है।
वह हर दिन करीब 26 करोड़ रुपए खेल और संस्थाओं की मदद के लिए देती है। आईओसी ने 2013 से 2016 के बीच करीब 43 हजार 330 करोड़ रुपए का रेवेन्यू जनरेट किया। इसमें सोच्चि विंटर ओलिंपिक (2014) और रियो ओलिंपिक (2016) की कमाई भी शामिल है। इसमें50% फंड वर्ल्ड एंटी डोपिंग एजेंसी (वाडा) को आईओसी से मिलता है जबकि बाकी 50% अन्य देशों से।
- 1170 करोड़ रुपए दिए हैं पिछले तीन यूथ ओलिंपिक के आयोजन के लिए आईओसी ने। ब्यूनस आयर्स (2018 गेम्स) में 4 हजार खिलाड़ी उतरे थे।
- 420 करोड़ रुपए दिए आईओसी ने पिछले दो यूथ विंटर गेम्स के आयोजन के लिए। 2016 में हुए गेम्स में 1100 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था।
पिछले चार ओलिंपिक में आईओसी ने 60 फीसदी योगदान बढ़ाया
आईओसी ओलिंपिक की मेजबानी करने वाले शहर का आर्थिक दबाव कम करने के लिए 2.5 बिलियन डॉलर (करीब 19 हजार करोड़ रुपए) देती है। एथेंस 2004 से लेकर रियो 2016 या तूरिन 2006 विंटर गेम्स से प्योंगचेंग 2018 तक आईओसी ने मेजबान देशों को देने वाली राशि 60% तक बढ़ा दी।
4 समर गेम्स में नेशनल ओलिंपिक कमेटी को कुल 12 हजार करोड़ दिए
आईओसी दुनियाभर की नेशनल ओलिंपिक कमेटी (एनओसी) को भी गेम्स में हिस्सा लेने के लिए राशि देती है। आईओसी ने पिछले चार समर गेम्स में एनओसी को 1.59 बिलियन डॉलर (12 हजार करोड़ रुपए) दिए हैं। वहीं, पिछले 5 विंटर गेम्स में 852 मिलियन डॉलर (6 हजार 476 करोड़ रुपए) दिए थे।
स्कॉलर्स खिलाड़ियों ने 33 गोल्ड सहित 101 मेडल जीते थे
आईओसी ओलिंपिक एकता के लिए 3800 करोड़ रुपए देता है। इससे दुनियाभर के 20 हजार खिलाड़ी जुड़े हैं। इन्हें स्कॉलरशिप भी मिलती है। रियो ओलिंपिक 2016 में 815 ओलिंपिक स्कॉलर्स ने हिस्सा लिया था। इन्होंने 33 गोल्ड, 26 सिल्वर, 42 ब्रॉन्ज सहित कुल 101 मेडल जीते थे।
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